स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल, लाहोद में मेगा पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग का भव्य आयोजन।

विजय सेन
जनभूमि न्यूज़ – लाहोद में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल ने एक व्यापक पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग (PTM) की आयोजन किया गया, बच्चों की शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने के लिए शिक्षक, माता-पिता और छात्र एक साथ आए। इस मीटिंग में संकुल प्राचार्य के एम त्रिपाठी , संकुल समन्वयक अमृत लाल भारद्वाज , एवं संकुल स्कूल से जुड़े समस्त शिक्षकगण शामिल हुए और इसका उद्देश्य पालक/अभिभावक और शिक्षकों के बीच साझेदारी को मजबूत करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य के.एम. त्रिपाठी के एक व्यावहारिक भाषण से हुई, जिन्होंने माता-पिता और शिक्षकों के बीच प्रभावी संचार को बढ़ावा देने में ऐसी बैठकों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चर्चा का पहला विषय “मेरा कोना ” पेश किया, जिसमें बच्चों के लिए उपयुक्त अध्ययन वातावरण के महत्व पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को विचलित करने वाली जगह से मुक्त शांत, आरामदायक और अच्छी तरह हवादार जगह चुनने में मदद करें।
तत्पश्चात, हेडमास्टर (शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला लाहोद) एम.पी .वर्मा ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 2 उचित अध्ययन समय सारिणी की आवश्यकता के बारे में दूसरे विषय पर विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम समय प्रबंधन में सहायता करता है, प्रभावी अध्ययन को बढ़ाता है, अनुशासन को बढ़ावा देता है, और अध्ययन को आराम के साथ संतुलित करता है।
तीसरे बिंदु बच्चे ने आज क्या सीखा को व्याख्याता प्रिया पटेल संबोधित किया, माता-पिता से अपने बच्चों के साथ दैनिक गतिविधियों के बारे में जुड़ने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि माता-पिता अपने बच्चों के दिन के बारे में सवाल पूछें, नोटबुक की समीक्षा करें, शिक्षकों के साथ संवाद बनाए रखें, और एक सकारात्मक माहौल बनाएँ।
इसके बाद, अंग्रेजी की व्याख्याता शेफाली साहू ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 4 बच्चा बोलेगा बेझिझक में बच्चों के बोलने के आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाया जाए पर चर्चा की। उन्होंने एक सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता पर जोर दिया जो बच्चों को खुद को व्यक्त करने और उनके संवाद कौशल में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है।
वाणिज्य व्याख्याता अंशु रानी टंडन ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 5 परीक्षा के दबाव को कम करने की रणनीतियाँ साझा कीं। उन्होंने माता-पिता को सकारात्मक मानसिकता, अनुशासित अध्ययन की आदतों, विषय की समझ, पर्याप्त आराम और सकारात्मक संवाद के माध्यम से मार्गदर्शन को प्रोत्साहित करने की सलाह दी।
चर्चा को जारी रखते हुए, एम.पी. वर्मा ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 6 पुस्तकों तक पहुँच के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने घर या समुदाय में पुस्तकालय स्थापित करने और पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए ई-पुस्तकों की खोज करने की सिफारिश की।
समन्वयक श्रीनिधि पांडे ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 7 “बैगलेस डे” की अवधारणा पेश की, जिसमें छात्रों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक तनाव को कम करने में इसके लाभों के बारे में बताया गया।
तत्पश्चात अंशु रानी टंडन ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 8 बच्चों की उम्र और कक्षा के अनुरूप स्वास्थ्य और पोषण पर भी चर्चा की। उन्होंने बीमारियों को रोकने, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की पहचान करने, कुपोषण से निपटने और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के तरीके बताए। इसके बाद इसके बाद शेफाली साहू ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 9 आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों के माध्यम से आय और जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया पर चर्चा की, ताकि माता-पिता को उपलब्ध सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सके एवम बैठक में स्कूली कार्यक्रमों के दौरान बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन के प्रावधान पर भी चर्चा की गई।
तत्पश्चात श्रीनिधि पांडे ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 11 उच्च शिक्षा के इच्छुक छात्रों के लिए उपलब्ध विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया।
अंत में, प्रिया पटेल ने चर्चा के बिंदु क्रमांक 12 शैक्षिक अनुभवों को बढ़ाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म पेश करके चर्चा का समापन किया। उन्होंने ई-बुक्स और उमंग और स्वयं जैसे शैक्षिक ऐप की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
बैठक का समापन कलेक्टर दीपक सोनी के प्रोत्साहन भरे शब्दों के साथ हुआ। उन्होंने अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और छात्रों की शिक्षा की बेहतरी के लिए ऐसी बैठकों में निरंतर भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय ने इस मेगा पीटीएम में पालकों अपने दायित्वों के प्रति जागरूक रहने कहा । इस मेगा पीटीएम ने न केवल मूल्यवान अंतर्दृष्टि को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया, बल्कि छात्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के बीच आवश्यक सहयोगात्मक प्रयास को भी मजबूत किया।