सेन समाज से हेमंत श्रीवास, प्रीतपाल सेन और डॉ सुषमा श्रीवास को मिला स्वामी चिन्मयानन्द उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान

विजय सेन लाहोद
लाहोद – गत दिवस भाठापारा मे आयोजित भगवान आदिनाथ जन्म कल्याणक जन्म जयंती महोत्सव एवं चिन्मय अलंकरण समारोह में श्री 1008 भगवान आदिनाथ जन्म महोत्सव एवं संत मुनि श्री 108 चिन्मय सागर जी महाराज (जंगल वाले बाबा)के आशीर्वाद से *श्री चिन्मय सागर चैरिटेबल ट्रस्ट मोदी परिवार भाटापारा द्वारा इन्नोवेटिव टीचर अवार्ड 2024* सम्मान से सेन समाज के तीन सदस्यो को सम्मानित किया गया जिसमे पवनी बिलाईगढ़ से शिक्षक हेमंत श्रीवास, भाठापारा से शिक्षक प्रीतपाल सेन, बिलासपुर से पूर्व शिक्षक एवं समाजसेवी डॉ सुषमा श्रीवास को यह सम्मान प्राप्त हुआ। यह एक राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है जो चिन्मयानदन ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है। इस वर्ष सम्मान हेतु 250 शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र और 75 उत्कृष्ट शिक्षकों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया जिसमें सेन प्रदेश भर के और अन्य राज्य के भी शिक्षकों को सम्मान प्राप्त हुआ, सेन।श्रीवास समाज से भी तीन शिक्षकों का सम्मान होना बड़े ही गर्व की बात है।

हेमंत श्रीवास – पवनी बिलाईगढ़ हेमंत श्रीवास पवनी बिलाईगढ़ के मूल निवासी है, वे एक शासकीय प्राथमिक शाला मे सहायक शिक्षक के रूप मे पदस्थ है, नौकरी के आरम्भ से हि उन्हे विद्यालय मे नवाचारी गतिविधि और सक्रिय शिक्षण के लिए जाना जाता है, वे नियमित रूप से कार्य करते आ रहे है विभिन्न मंचों पर उन्हे सम्मान, मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण प्राप्त हो चुका है वे अपने विद्यालय में स्वयं के व्यय् से वाल लाइब्रेरी चलाने के लिए अभी कुछ दिन पूर्व चर्चा मे आये थे। प्रीतपाल सेन – भाठापारा चिचोली जिला बेमेतरा के मूल निवासी है 2009 से बलौदा बाजार जिले मे गंगई प्राथमिक शाला मे सहायक शिक्षक के रूप मे पदस्थ है जहा नवाचारी गतिविधि और बच्चों के लिए उन्हे समर्पण भाव के लिए जाने जाते है। कुछ दिन पूर्व हि भाठापारा के पास ग्राम सेम्हराडीह पूर्व माध्यमिक शाला मे पदोन्नत होकर शिक्षक के रूप मे आये है। लगातार रक्तदान करने समाजिक कार्यो के नाम से भी इनकी एक अलग पहचान है।

डॉ सुषमा श्रीवास – बिलासपुर केंद्रीय विद्यालय के सेवा निवृत्त शिक्षिका सेवा निवृत्ती के बाद से बाल शिक्षा महिला शिक्षा अधिकार के लिए कार्य एक मुहीम के तहत जुड़ी हुए है समाज के विभिन्न छेत्रों मे उनके कार्यो के लिए एक अलग् पहचान बनी हुई है। सेवा काल मे भी बच्चों के शिक्षा और उनके गतिविधि मे भी सक्रिय भूमिका रही है।