डबल इंजन सरकार की योजनाओं की गाड़ी आखिर कब पहुंचेगी जेठूराम टंडन के द्वारा।

जनकल्याणकारी योजनाओं का राह देखते देखते आर्थिक तंगी में कट रही है जेठू राम टंडन की जिंदगी
आठ माह से पेंशन योजना का लाभ भी नहीं मिला है जेठू राम टंडन को
ताराचंद कठोत्रे – बलौदाबाजार / केंद्र सरकार व राज्य सरकार गरीब लोगों के लिए अनगिनत योजनाएं चल रही हैं ताकि ग्रामीणों के जीवन को सुधार सके उन्हें आत्मनिर्भर बन सके किंतु हमारे सिस्टम का ऐसा खेल की योजनाएं धरातल पर ही नहीं पहुंच रही। राज्य सरकार व केंद्र सरकार की योजनाओं को आम जनता तक कैसे पहुंचा जाए जिससे गरीब दिन दुखिये है उनके जीवन में इन योजनाओं से लाभान्वित कर उनके जीवन को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाया जाए। किंतु नीचे से ऊपर तक भ्रष्ट व निष्क्रिय आधिकारी कर्मचारीयों की नाकामियों के वजह से आज भी ग्रामीण आंचल में लोगों के जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं आ रहा है। इसका ताजा मामला बलौदा बाजार जिले के पलारी विकासखंड अंतर्गत ग्राम भवानीपुर के आश्रित ग्राम जुनवानी में देखने को मिला । ग्राम के जेठू राम टंडन अपने आठ परिवार के साथ टूटी-फूटी मकान में रहने विवश है उनके घर को देखने से ही पता चलता है कि उनके घर की माली हालत क्या होगी हमारे संवाददाता ने जब जेठू राम टंडन के घर के अंदर जाकर अंदर का नजारा देखा तो अचंभित हो गया चावल के अलावा जेठू राम के घर में किसी प्रकार की कोई महंगी वस्तु नहीं थी केवल कपड़े बर्तन व अनाज ही बस रखे थे। जेठू राम बताते हैं कि उन्हें अब तक पेंशन के अलावा किसी प्रकार की योजना का लाभ नहीं मिला है और पेंशन भी उन्हें विगत 8 माह से नहीं मिल रहा है। जिस कारण से उन्हें अपने परिवार चलाने में भी काफी दिक्कत हो रही है। 72 वर्षीय जेठू राम टंडन बताते हैं कि उनके घर में आए का कोई साधन नहीं है कई दिन तक तो वह भूखे ही सोते हैं क्योंकि गांव में राशन दुकान नहीं है उन्हें राशन लेने, चार किलोमीटर दूर भवानीपुर जाना होता है और समय पर राशन नहीं मिलने पर उनके परिवार को भूखा ही सोना पड़ता है। जेठू बताते हैं कि उनके परिवार में कुल 8 सदस्य हैं उनका बड़ा बेटा 19 साल का है जो रायपुर गया हुआ है वह कभी कभार ही पैसा भेजता है। बाकी घर का खर्चा जैसे तैसे गरीबी में ही गुजर रही है जेठू राम बताते हैं वर्षों से वह इसी घर में निवास कर रहे हैं उन्हें आज तक शासन जनकल्याणकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिला है गांव में उनकी जमीन नहीं है इसी घर में उनके माता-पिता का निधन भी हो गया है। अब जेठू राम अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं और गरीबी में ही उनके जीवन कट रही है। जेठू के हैं 6 बच्चे जेठू राम टंडन की चार बेटियां व दो बेटे हैं जिनमें से बड़ा बेटा 19 साल है और दूसरे नंबर की बेटी 16 वर्ष की है बाकी सभी बच्चे अभी कम उम्र के हैं। बड़ा बेटारायपुर में काम करने गया है वह भी कभी कभार ही पैसा भेजता हैं।दो बच्चों का नहीं बना है आधार कार्ड जेठू राम बताते हैं कि उन्हें राज्य शासन की खदन्या योजना अंतर्गत 42 किलो चावल दिया जाता है दो बच्चों का आधार कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें 14 किलो चावल नहीं मिलता है।खदर के घर में रहते हैं जेठू राम जेठू राम का घर लाल पुत्री व खादर का है जो कई वर्षों से नहीं बदल गया है ऐसे ही निवास करने में विवश है जेठू राम क्योंकि आई का कोई साधन नहीं है उन्हें उनके परिवार में कोई भी कमाने वाला नहीं है शासन प्रशासन की अगर मदद मिलती है तो जेठू राम भी अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए स्कूल भेज सकते हैं ।परिवार को शासन प्रशासन से मदद की आस में बैठे जेठू राम की जिंदगी आर्थिक तंगी में ही गुजर रही है।उम्र बढ़ने के साथ घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ते चली गई जेठू राम टंडन की उम्र 72 वर्ष होने के चलते उन्हें अब मेहनत का काम ज्यादा नहीं कर सकते वह आसक्त हो रहे हैं इस कारण से उन्हें अब ज्यादातर लोग कम पर भी नहीं बुलाते जेठू राम के पास गांव में एक बीघा भी जमीन नहीं है इस कारण से उन्हें कोई मदद भी नहीं करता।