कोरदा में पोला उत्सव में रोटी के बदले कागज़ से खिलौने लेने की अनोखी परंपरा आज भी कायम

ताराचंद कठोत्रे– बलौदाबाजार । लवन – छत्तीसगढ़ इतिहास के मामले में एक ऐसा गांव जो बलौदाबाजार जिला के लवन तहसील के अंतर्गत ग्राम कोरदा में 127 वर्षों से पोला पर्व महोउत्सव मनाने का अनोखी परम्परा है, जो आज भी कायम है। उमस भरी गर्मी ने भी 127 वर्षों से मनाते आ रहे अनोखा परंपरा को टूटने नही दिया जिसे देखने के लवन, डोंगरा, अहिल्दा बरदा, जामडीह, कोलिहा, सरखोर, सोलहा, मुण्डा सहित आदि गांवों के लोग बडी संख्या में पहुंचे थे।

छत्तीसगढ के इतिहास में शायद ही कोई गांव होगा जहां इस तरह की परंपरा का निर्वहन होता होगा। यहां के ग्रामीण वर्षो पुरानी अपनी परम्परा को आज़ भी कायम रखे हुए है, जिसे देखने के लिए आसपास सहित दूर दराज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते है। लोगों की भीड़ इतनी अत्यधिक हो जाती है की लोगों को खड़े होने की जगह तक नहीं मिलती है। यहां के लोगो ने बताया कि माह भर पहले से ही पोला पर्व की तैयारी में जुट जाते है। पुरूष वर्ग मिट्टी के खिलौना, कागज के फुल, रोटी में बेचने के लिये बनाते है तो वही महिलाएं घर घुंदिया बनाने में लगी रहती है।

उल्लेखनीय है कि कोरदा में पोला पर्व के दिन दोपहर 3 बजे से चलने वाली पोला पर्व रात्रि 8 बजे तक चलती रहती है। इस एक दिवसीय पोला मेला में लगी खिलौने के दुकानो से सिर्फ महिलाये पकवान से खिलौने खरीदते है। पोला के दिन कोरदा गांव की महिलाएं तथा लडकियां अपने घर छोडकर तालाब पार में अपनी बनाई हुई 6 फीट लम्बा चौडा घर घुंदिया में पुडी, बडा, भजिया, ठेठरी, खुरमी पकवान लेकर बैठी रहती है जैसे ही बाजार सज जाता है फिर पकवान से महिलाएं खिलौना लेने के लिए निकलती है, और रोटी के हिसाब से खिलौने को खरीदती हैं।

ज्ञात हो कि यहां पैसे से कुछ नहीं मिलता घर में बने पकवानों ठेठरी, खुर्मी, पुड़ी, इत्यादि रोटियों से खिलौनों की खरीदी की जाती है। पोला पर्व पर क्षेत्र के 20-25 गांवो की महिलाएं गांव कोरदा में शामिल होकर पोला पर्व की आनंद लेती है। जो एकता और भाईचारे की प्रतीक है।

पोला पर्व को आकर्षक और मनोरंजक बनाने के लिए ग्रामवासियों के द्वारा घरघुंदिया, मिट्टी व कागज के खिलौने, आकर्षक बैल, बैला, मकान कोठा निर्माण बनाया गया था। जिसके लिए अलग-अलग प्रकार के ईनाम भी रखे गये थे। प्रतिभागियों द्वारा मिट्टी के आकर्षक खिलौने, कागज के डोंगा, फुग्गा, मिट्टी के चिडि़या, नंदी बैला, सहित कई प्रकार की मनमोहक वस्तुएं बनाकर दुकान लगाई गई थी।

इस पोला उत्सव में 10वी और 12वी में प्रथम स्थान प्राप्त करने होनहार छात्र छात्राओं को शील्ड एम नगद राशि ईनाम के तौर पर दिया गया। वही, इस वर्ष पोला उत्सव को और अधिक ऐतिहासिक बनाने के लिए गणेश जी मूर्ती बनाकर प्रदर्शनी लगाया गया था। साथ ही विलुप्त हो चुके चिड़िया का भी प्रदर्शनी लगाया था। वही,
घरघुंदिया, मिट्टी व कागज के खिलौने, आकर्षक बैल, बैला, मकान कोठा निर्माण बनाया गया था। जिसके लिए विशेष आकर्षक ईनाम भी रखा गया था।